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Why AIIMS-Like Medical Institutions Failed to Cure Most Diseases.

AIIMS और PGI जैसे संस्थान क्यों किसी भी बिमारी का उपचार नहीं कर पाते। वहां सिर्फ वही बिमारी ठीक होती है जो गाँव के क्वैक अथवा ग्रामीण चिकित्सक भी ठीक कर सकते हैं। 

ये संस्थान मुख्य रूप से जटिलताओं और असामान्य बीमारियों का इलाज करने के लिए बनाए गए हैं। अधिकांश लोग आम बीमारियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सकों की सलाह लेते हैं और वहां ही ठीक हो जाते हैं।

गाँव के क्वैक अथवा ग्रामीण चिकित्सकों को भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों की स्वाभाविक जरूरतों की समझ होती है। वे अक्सर स्थानीय परंपराओं, जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रयोग को जानते हैं जो अनेक सालों से उनके परिवारों की वारिसों के द्वारा उपयोग किए जाते आ रहे हैं।

उपर्युक्त बात से शायद आम लोग सहमत नहीं होंगे। इसकी वजह है:

  • इन संस्थाओं में जो लोग जाते हैं वह काफी प्रतिभाशाली होते हैं.
  • क्योंकि वह सरकारी नौकरी करते हैं इसलिए उनका कोई वजह नहीं होता कि वह उपचार ना करें.
  • देश के गणमान्य लोग जैसे मिनिस्टर इत्यादि इन्हीं संस्थानों में उपचार पाते हैं.
  • देश के सबसे प्रतिभाशाली डॉक्टर इन्हीं संस्थानों में नौकरी करते हैं.
  • इन प्रतिष्ठानों में प्रवेश पाने के लिए कठिन प्रतियोगिता परीक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होता है.

तो फिर निश्चित ही इन संस्थानों के उपचार में संदेह करना बिलकुल ही गलत और बेवकूफी भरा कार्य होगा.

आम लोगों के विवेक से ठीक पलट इन संस्थानों में आजतक निम्नलिखित बीमारियों का एक भी उदहारण नहीं है जो पूर्णतः ठीक हो गया हो.

  • डायबिटीज से अंधापन
  • किडनी फेलियर से पीड़ित मरीज जो डायलिसिस पर हों
  • कैंसर जो पूरे शरीर में फैल गया हो
  • गठिया
  • मानसिक रोग

इत्यादि-इत्यादि जैसे रोग जो गाँव के क्वेक ठीक नहीं कर पाते वह बीमारियां AIIMS जैसे संस्थान भी ठीक नहीं करते।

आखिर योग्यता से अच्छे परिणाम क्यों नहीं ले पाते लोग?

क्यों बड़े बड़े मंत्री और गणमान्य लोग कैंसर, किडनी फेलियर और डायबिटीज जैसे रोगों से ग्रसित हैं और बहुत ही लाचारी का जीवन जी रहे हैं?

आधुनिक युग में, हमारे समाज में बड़ी ही चिंता का कारण बन रहा है कि क्यों बड़े बड़े मंत्री, पदाधिकारी और सार्वजनिक व्यक्ति आजकल कैंसर, किडनी फेलियर, डायबिटीज जैसे गंभीर रोगों का शिकार हो रहे हैं और उनका जीवन बहुत ही लाचारी भरा हो रहा है। यह प्रश्न सभी के दिमाग में उठता है कि क्या हमारे समाज में यह समस्या कारणवश सामान्य होती जा रही है या फिर कुछ और वजहों के कारण हो रही है?

कैंसर, किडनी फेलियर और डायबिटीज जैसे रोग आजकल बहुत ही आम हो गए हैं। इन रोगों के प्रसार में तेजी से वृद्धि हुई है और इसके पीछे कई कारण हैं। पहले, बदलते खाने-पीने के प्रथाओं के कारण हम खुद को पोषणहीन भोजन के साथ-साथ तत्पर नियमित व्यायाम से भी महरूम कर देते हैं। स्वास्थ्यप्रद खाद्य सामग्री और ताजा फल और सब्जियाँ कम हो गए हैं, जो हमारे शरीर के विभिन्न पोषक तत्वों की कमी को दर्शाता है। दूसरे, बदलते जीवनशैली के कारण स्ट्रेस, असंतुलित भोजन, अनियमित आहार, नियमित नींद की कमी, और अव्यवस्थित दिनचर्या का प्रभाव भी होता है। ये सभी कारण बड़े बड़े अधिकारी और मंत्रियों को रोगों के लिए संतुलित जीवनशैली से दूरी बनाने के लिए स्वास्थ्य और सुख के लिए समय नहीं देते हैं।

जो बीमारी गाँव के क्वेक अथवा ग्रामीण चिकित्सक ठीक नहीं कर पाते, वो बीमारियां AIIMS जैसी संस्थाओं में भी ठीक नहीं होती। आखिर क्यों?

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