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हरेक डायबिटीज के मरीज को यह जानना जरूरी है कि सिर्फ वह खुद ही अपनी बिमारी और दुष्परिणाम जैसे किडनी फेलियर अथवा हृदयाघात के लिए जिम्मेदार है. अगर उसकी बिमारी कभी ठीक नहीं हो सकती, इसमें उपचार करनेवाले, अस्पताल, दवा कंपनियां इत्यादि का बहुत फायदा है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी बिमारी जड़ से ख़त्म हो सकती है अथवा नहीं.  सबसे जरूरी चीज यह है कि आप किस बात पर भरोसा करते हैं.  अगर आपका अंतर्मन को पूर्ण विश्वास है कि आप कभी ठीक नहीं होंगे तो इसमें चिकित्सा जगत के लोगों का बहुत फायदा होने वाला है. आप जब तक जिन्दा रहेंगे तबतक आपका शोषण होता रहेगा.

  1. आखिर क्या वजह है कि गण्यमान्य व्यक्ति को डायबिटीज होने पर हृदयाघात और किडनी फेलियर आम लोगों से पहले होता है.
  2. क्यों जिन लोगों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध है वही लोग जल्दी हृदयाघात, किडनी फेलियर अथवा आकस्मिक मौत का शिकार होते है.

डायबिटीज के मरीज के उपचार में एक डाइट चार्ट होता है और कुछ दवाईयां होती हैं. आप कोई भी दवाई लेते हैं अथवा कितने भी परहेज करते हैं अथवा एक्सरसाइज करते हैं और कम नमक खाते हैं और कम कैलोरी का भोजन लेते हैं आपका शुगर नियंत्रित नहीं रहता, अगर रहता भी है तो आप अच्छा अनुभव नहीं करते. ज्यादातर लोगों का रक्तचाप नियंत्रित नहीं रहता. आपकी समस्याओं में कोई सुधार नहीं होता जैसे कमजोरी, गैस बनना/पेट की खराबी, सेक्स नहीं कर पाना अथवा सेक्स के प्रति इच्छा ना होना, हरदम थकावट, काम का बोझ अनुभव करना, नींद की कमी, मोटापा, किडनी की खराबी, हृदयरोग, यादास्त की कमी इत्यादि .

शुगर/ग्लूकोज शरीर के लिए क्यों होता है हानिकारक

शरीर में ग्लूकोज उर्जा प्रदान करने के लिए होता है, परन्तु अगर शरीर में उर्जा की जरूरत नहीं रहती तो यही ग्लूकोस तुरंत ही चर्बी में बदल जाता है क्योंकि ग्लूकोज से कोशिका में osmotic pressure बढ़ा रहता है, ग्लूकोज की उपस्थिति में कोशिका कोई दूसरा काम नहीं कर सकती, इसलिए इसे चर्बी में बदलना जरूरी हो जाता है. अगर ज्यादा दिनों तक शरीर में ग्लूकोज बढ़ा रहता है तो फिर कोशिकाएं भी चर्बी से भरती  रहती हैं . और एक ऐसा समय आता है जब कोशिकाओं के अन्दर जगह ही नहीं बचता कि ग्लूकोज अन्दर जा सके.

आपका शरीर इस स्थिति से बचने के लिए चर्बी से उर्जा बनाना शुरू करती हैं जिसे keto-acidosis कहते हैं. मसलम ग्लूकोज रहते हुए भी आपका शरीर उसका इस्तेमाल नहीं करता और सिर्फ चर्बी से ही उर्जा बनाता है. आपने देखा होगा डायबिटीज में शरीर दुबला होने लग जाता है. यह शरीर की बचाव प्रक्रिया है.

इस तरह शरीर ग्लूकोज से अपना बचाव करने के लिए ग्लूकोज का कोशिकाओं में प्रवेश बंद कर देती है. कोशिकाओं के लिए ग्लूकोज जरूरी नहीं होता क्योंकि कोशिकाएं चर्बी अथवा प्रोटीन से भी उर्जा का निर्माण कर लेती है.

खून में शुगर के बड़ने से उसका निष्काशन मूत्र के द्वारा होता है. इस तरह मूत्र के द्वारा शुगर शरीर से बाहर  आ जाता है. खून में शुगर का बड़ना एक बचाव प्रक्रिया है ना की बिमारी.

इन्सुलिन की क्या है भूमिका.

इन्सुलिन एक हॉर्मोन है जो पैंक्रियास से निकलता है. इसका मुख्य काम ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश कराना है. बिना इन्सुलिन के ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर सकती. क्योंकि ग्लूकोज कोशिकाओं के लिए हानिकारक है, इसलिए इसका कोशिकाओं में प्रवेश को नियंत्रित करना आवश्यक हो जाता है.

कोशिकाओं में इन्सुलिन का रिसेप्टर होता है. इन्सुलिन रिसेप्टर की संख्या ही निर्धारित करती हैं कि कोशिकाओं का क्या व्यवहार होगा. जैसे कैंसर की कोशिकाओं में इन्सुलिन रिसेप्टर की संख्या, सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है.

इसे आप इस तरह समझिये, जैसे ही कोशिकाएं जरूरी काम के लिए खुद को तैयार करती हैं उसमें इन्सुलिन रिसेप्टर की संख्या कम हो जाती हैं. मसलन वैसे महत्वपूर्ण कोशिकाओं को ग्लूकोज से बचाना आवश्यक हो जाता है.

यही वजह है कि इन्सुलिन की मात्रा बढने से कोशिकाओं की मृत्यु होने लग जाती है और चर्बी से भर जाने की वजह से उसकी क्रियाशीलता कम जाती है. इस तरह इन्सुलिन की वजह से होता है किडनी फेलियर और हृदयाघात.

इन्सुलिन की वजह से होता है किडनी फेलियर, क्लिक करके सबूत देखें.

इन्सुलिन की वजह से होता है हृदयाघात, क्लिक कर सबूत देखें.

इन्सुलिन है हृदयाघात की मुख्य वजह, सबूत

इन्सुलिन से होता है कैंसर

इन्सुलिन और Metformin से होता है कैंसर.

हमारा शरीर ग्लूकोज अथवा शुगर से अपना बचाव कर लेता है परन्तु इन्सुलिन से नहीं कर पाता.

यह साबित हो चुका  है कि किडनी फेलियर, हृदयाघात, कैंसर इत्यादि इन्सुलिन की वजह से होता है, ना कि ग्लूकोज की वजह से.( सबूत ऊपर लिंक में दिए गये हैं .)

डायबिटीज के प्रयुक्त होनेवाली दवाएं  शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढाती हैं, इसलिए इन सब दवाओं से किडनी फेलियर, हृदयाघात, कैंसर आदि का खतरा रहता है.

अब आप आसानी से समझ सकते हैं क्यों जो लोग जितनी अच्छी तरह अपना डायबिटीज नियत्रित करने की कोशिश करते हैं उनका इन्सुलिन लेवल बढ़ जाता है और वह हृदयाघात, किडनी फेलियर इत्यादि का शिकार हो जाते हैं. यही वजह से कि गण्यमान्य व्यक्ति को डायबिटीज होने पर किडनी फेलियर अथवा हृदयाघात जल्दी होता है .

डायबिटीज क्यों होता है.

अमेरिकन वैज्ञानिक डॉ. जोएल वाल्लाच के अनुसार डायबिटीज मिनरल की कमी से होता है.  इन्होने जानवरों में अनुसंधान करके साबित किया है कि डायबिटीज पोषक पदार्थों की कमी से होता है. इनके अनुसार शरीर में पोषक पदार्थों की कमी की वजह हमारा दोषपूर्ण खेती बारी है. हमारे जमीन अथवा मिट्टी में ही मिनरल्स की कमी हो गयी है जिसकी वजह से हम जो उपज करते हैं उसमें पोषक तत्वों की कमी रहती है.

 इंजेक्शन लेने के बावजूद भी शुगर नियंत्रित नहीं होता और चिकित्सक किस तरह जबरदस्ती इंजेक्शन की सलाह देते हैं .

डायबिटीज के मरीज को क्या करना चाहिए

डायबिटीज के मरीज को सर्वप्रथम जो दवाई वह ले रहे हैं उसे तुरंत ही बंद करना चाहिए. आप इन दवाईयों की वजह से ही डायबिटिक बने हुए हैं. इन दवाईयों की वजह से ही आपको होता है हृदयाघात, किडनी फेलियर इत्यादि.

उन्हें भोजन में परिवर्तन करना चाहिए, मसलन आप भोजन में ज्यादातर कच्ची चीजों का सेवन करें. और ज्यादा से ज्यादा सलाद खाएं. गेहू से बनी चीजों जैसे बिस्कुट, ब्रेड, रोटी का सेवन कम से कम करें. दूध का सेवन बंद कर दें. आप रिफाइंड तेल का इस्तेमाल भी बंद करें. रिफाइंड तेल जैसे सोयाबीन, राइस ब्रान, सूर्यमुखी इत्यादि शरीर के लिए घातक होता है.

आप आयुर्वेदिक दवा जो चूर्ण के रूप में आता हो उसका भी इस्तेमाल करें. इसके अलावा मेंथी, आलस अथवा तीसी और दालचीनी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इससे आपका स्वास्थ बेहतर बनेगा और आपकी डायबिटीज भी नियंत्रित हो जायेगी.

अगर इन सब से भी आपका शुगर नियंत्रित ना होता हो तो किसी naturopath अथवा आयुर्वेद के चिकित्सक से सलाह लें. अथवा मेटाबोलिक उपचार अपनाएँ.

मेटाबोलिक उपचार अबतक का सबसे प्रमाणित और सफल उपचार पद्धति है. इससे डायबिटीज के दुष्परिणाम स्वतः ही ख़त्म हो जाते हैं.

मेटाबोलिक पद्धति द्वारा डायबिटीज के उपचार के फायदे

  • इन्सुलिन से मुक्ति (टाइप-1 और टाइप-2 दोनों में)
  • डायबिटीज के दुष्परिणाम- अंधापन, हृदयाघात और किडनी फेलियर की सम्भावना न के बराबर होती है.
  • असमय बुढापे से मुक्ति : डायबिटीज के मरीज की उम्र 20 साल और बढ़ाई जा सकती है.
  • मरीज़ को मानसिक समस्या जैसे- यादाश्त कम होना, डिप्रेशन, सुस्ती, इत्यादि से मुक्ति.
  • जोड़ों का दर्द, स्फूर्ति कि कमी, इत्यादि से मुक्ति.
  • पेट की समस्या जैसे- दर्द, कब्जियत, बार-बार पेट ख़राब होना, इत्यादि से मुक्ति.
  • मेटाबोलिक उपचार से कैंसर होने की सम्भावना ख़त्म हो जाती है.
  • मेटाबोलिक उपचार से शरीर में रोग प्रतिरक्षण (इम्युनिटी) की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे सर्दी, बुखार, जुकाम, इत्यादि कम होता है.
  • मेटाबोलिक उपचार से किडनी मजबूत होता है, और उसके ख़राब होने की सम्भावना न के बराबर होती है.
  • हृदयरोग (Atherosclerosis) से बचाव करता है मेटाबोलिक उपचार.

आम लोग खुद ही गलत चुनाव करते हैं.

व्यापार से जुड़े लोग आपके अंतर्मन को ट्रेनिंग देते हैं जिसे ब्रांडिंग कहते हैं. कोई आम इंसान अथवा चिकित्सक नहीं सोच सकता कि वास्तविकता क्या है. क्योंकि वास्तविकता जो आप जानते हैं अथवा जिसपर आप भरोसा करते हैं वह ब्रांडिंग द्व्रारा उद्योग निर्धारित करता है.

हे अर्जुन, तुम अपनी असली वास्तविकता को जानो.  क्या है आपकी वास्तविकता. हरेक व्यक्ति को ईश्वर ने स्वस्थ जीने के लिए बनाया है.मेटाबोलिक उपचार अपनाकर अपने अमूल्य जीवन को बेहतर बनाएं .

 मेटाबोलिक उपचार को अपनाना आपके जीवन का सबसे सार्थक निर्णय होगा. इससे आप बीमारियों से मुक्त होकर एक अच्छी जिंदगी जी सकेंगे और ईश्वर के प्रति अपना दायित्व निभा सकेंगे.

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मेटाबोलिक चिकित्सा संस्थान, हाउस संख्या 5, बंधन बैंक के बगल में, देवी स्थान रोड, नयी हरनी चक, अनिशाबाद, पटना-800002 अपॉइंटमेंट के लिए कॉल करें +91-9102851937, 09801157478, 8969898579

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