हृदयरोग के मरीज और उनके रिश्तेदारों को किस बात की चिंता रहती है.
क्योंकि हृदयरोग में अचानक मृत्यु का खतरा रहता है इसलिए मरीज और उसके रिश्तेदार भय में रहते हैं. परन्तु अब उन्हें भय में जीवन बिताने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि नवीनतम अनुसंधानों के द्वारा कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज खोलने का सुरक्षित उपचार खोज लिया गया है और यह एंजियोप्लास्टी से बेहतर परिणाम देता है. अमेरिका जैसे देशों में लोग इस उपचार को अपना रहे हैं.
मेटाबोलिक पद्धति द्वारा हृदयरोग के उपचार के फायदे
- बिना ऑपरेशन अथवा एंजियोप्लास्टी के ब्लॉकेज खुल जाता है.
- दुबारा ब्लॉकेज की संभावना नहीं रहती.
- हृदयाघात की संभावना ना के बराबर.
- जिंदगीभर दवाई खाने की जरूरत नहीं.
- एक ही उपचार से रक्तचाप, डायबिटीज इत्यादि भी स्वतः नियंत्रित हो जाता है.
डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, मोटापा में क्यों मेटाबोलिक उपचार बेहतर है
हृदयाघात के कारक उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा इत्यादि मेटाबोलिक उपचार अपनाने से पूर्णतः नियंत्रित हो जाता है जिससे हृदयघात की संभावना कम हो जाती है. कोलेस्ट्रॉल अथवा ट्राइग्लिसराइड को मेटाबोलिक उपचार पूर्णतः नियंत्रित कर देता है जिससे कोरोनरी आर्टरी के कारक की कमी हो जाती है और हृदयाघात की संभावना काफी कम हो जाती है. जिनलोगों को हृदयाघात हो चुका है उनमें दुबारा हृदयाघात को रोकने में मददगार है मेटाबोलिक उपचार. अमेरिका जैसे देशों में अब मेटाबोलिक उपचार अपनाने से हृदयाघात कम होते हैं.
शहरों में हृदयाघात ज्यादा क्यों होता है ?
इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए अमेरिका के महान वैज्ञानिक Joel Wallach ने साबित किया है कि जो लोग हृदयरोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) के निर्देषों को अच्छी तरह मानते हैं उनकी बहुत जल्द ही हृदयाघात (Coronary Artery Blockage) से मृत्यु हो जाती है. इसका मुख्य कारण यह है कि उनके द्वारा दिया हुआ सभी सुझाव अवैज्ञानिक है. हृदयरोग विशेषज्ञ के मुख्य निर्देश जिससे लोगो को हृदयाघात हो रहा है-कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा, Vegetable Oil (Rice Bran, Corn, Sunflower इत्यादि), परहेज जैसे- Red Meat (रेड मीट), घी, नारियल तेल, इत्यादि, उच्च रक्तचाप की दवा, नमक कम खाने की सलाह, Angiograghy, एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया, मोटापा कम करने के लिए कम खाने की सलाह खासकर वसायुक्त भोजन नहीं करने की सलाह, डायबिटीज की दवा इत्यादि. ज्यादातर शहरी लोग इन सुझाओं को मानते हैं और उनमें हृदयाघात ज्यादा होता है. हालांकि आमलोग खुद के बचाव के लिए उपर्युक्त सुझाव को मानते हैं परन्तु अब उन्हें अपनी सोच बदलनी चाहिए.