हजारों लाखों वर्षों से हमारा समाज और इंसान के जीवन मूल्य निर्धारित हुए हैं. जैसे हम अपने जीवन में अपने स्वास्थ का सबसे ज्यादा महत्व देते हैं. हमारे सारे जीवन मूल्य इसी पर निर्धारित होता है कि हम अपने खुद के जीवन का क्या महत्व समझते अथवा जानते हैं.
हरेक व्यक्ति स्वस्थ रहने के लिए अच्छा भोजन की तलाश करता था और बीमार होने पर वैद्य अथवा पुरोहित अथवा दादी माँ के नुस्खे अपनाता था. इस तरह समाज में रहने के लिए लोगों को इज्जत प्रतिष्ठा उसके उम्र के हिसाब से मिलती थी. जब हम खुद को स्वस्थ रखने के लिए बुजुर्गों की मदद लेते थे तो खुद ही बुजुर्गों की इज्जत और सम्मान समाज में बढ़ जाता था. इसी तरह दूसरे काम में भी बुजुर्गों की मदद ली जाती थी और उसे इस तरह सम्मान मिलता था.
हमारे जीवन में जिसका महत्व सबसे ज्यादा होता था उसमें हमारा खर्च अथवा मेहनत भी सबसे ज्यादा होता था. आम लोग अपने कुल देवता की पूजा किया करते थे और बुजुर्ग लोग की मदद से स्वस्थ रहकर सामाजिक कार्य में हिस्सा लिया करते थे.
परन्तु अब ऐसा नहीं है अब एक छोटा बच्चा भी टेलीविज़न पर देखकर अथवा किताबों को पढ़कर दादी माँ को स्वस्थ रहने के तरीके सिखा देता है. हमारा समाज और व्यक्तित्व पूर्णतः प्रचार और विज्ञान के वश में है. कोई आम इंसान विज्ञान और प्रचार में फर्क नहीं कर सकता.
मनोवैज्ञानिकों ने अनुसंधानों में पाया है कि जिस बात को लोग बार बार देखते अथवा सुनते हैं वही उसकी वास्तविकता बन जाती है. फिर बिज़नस करने वाले लोग प्रचार की सामग्री को विज्ञान बता कर लोगों के मन में भरोसा पैदा करते हैं और आम आदमी अथवा पढ़े लिखे लोग जैसे चिकित्सक भी उसे अपनाकर कई तरह के कष्ट झेलते हैं.
अब व्यक्ति जितना खर्च भोजन पर करता है उससे कई गुना ज्यादा रहने के लिए किराए पर खर्च कर देता है. अब लोग बुजुर्गों की इज्ज़त नहीं करते और ना ही अपने स्वास्थ अथवा अन्य जरूरतों के लिए उनपर निर्भर ही रहते हैं.
ऐसे में लोगों की जरूरत की पूर्ती कोई संस्थान करता है अथवा कोई कंपनी अथवा बिजनेसमैन. जरा आप सोचें कोई कंपनी अथवा बिजनेसमैन आपका वह ख्याल तो नहीं रख सकता जो आपके बुजुर्ग अथवा दादी माँ रख सकते हैं.
इसको आप इस तरह समझें अब लोग शोषण करने वाले से सवस्थ रहने के तरीके सीख रहा है.
जब भारत में अंग्रेजों का सासन हुआ तब लोगों को स्वास्थय सेवा उपलब्ध कराने के लिए भारत में एलॉपथी चिकित्सा की शुरुआत हुई. इस चिकित्सा का मुख्य मकसद व्यवसाय था. इस व्यवसायी चिकित्सा में अनुसंधान और किताबों को प्रचार की सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया गया. खासकर फ़ूड इंडस्ट्री के साथ मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनायी गयी जिससे व्यापार को बढ़ाया जा सके.
निश्चित तौर पर रिफाइंड तेल बेचकर जितना मुनाफा कामाया जा सकता है उतना घी बेचकर नहीं. इसलिए अनुसंधान करके बताया गया कि घी खाने से हृदयाघात होता है और रिफाइंड तेल हृदयाघात से बचाता है. इसी तरह तीसी के तेल को खराब बताया गया. गेंहू से बनी वस्तु जैसे रोटी, ब्रेड इत्यादि को स्वास्थ के लिए बेहतर बताया गया. इसीतरह इन्सुलिन, उच्च रक्तचाप की दवा, कैंसर का उपचार इत्यादि की शुरुआत हुई.
अगर आप गौर से देखेंगे तो आसानी से समझ सकते हैं कि विज्ञान के नाम पे अथवा चिकित्सकों द्वारा जो प्रमोट किया जाता है वही सब लोगों को बीमार बनाता है.
जीवन मूल्यों के पलट जाने से आम व्यक्ति को स्वास्थ्य की बेहतरी से ज्यादा खुद की तरक्की पर ध्यान केन्द्रित करना पड़ता है. व्यक्ति बीमार, थका हारा, बेतहासा दौड़ लगाता रहता है और वह कहाँ जाना चाहता है उसे मालूम नहीं. वह सिर्फ डायबिटीज अथवा उच्च रक्तचाप से ही नहीं ग्रसित है.
व्यक्ति जीवन के कोई भी काम में खुद को समर्थ नहीं पाता है. जब उसकी शादी होती है तो फिर नयी समस्या उत्पन्न हो जाती है. अब उसे सेक्स करने में दिक्कत आने लगती है. अब वह नये अवसाद का शिकार हो जाता है. वह पत्नी को बराबर का दर्जा देता है और कई तरह के गिफ्ट देकत संतुष्ट करना चाहता परन्तु जो जरूरी है जिसे सम्भोग अथवा सेक्स कहते हैं, वह नहीं दे पता.
जीवन मूल्यों के पलट जाने से हमारा मन अथवा अनतर्मन में कोई बदलाव नहीं आता. वह वही हजारों वर्ष पुराने सिद्धांतों पर चलता है जिसके अनुसार स्त्री पुरुषों से नीचे रहती है. यदि वह इंसान स्त्री को बराबरी में देखता है तो फिर कभी भी वह अच्छे से सम्भोग नहीं कर सकता. सेक्स की समस्या भी जीवन मूल्यों के पलट जाने से उत्पन्न होती है.
अगर आपके जीवन मूल्य पलट चुके है तो फिर आप जीवन का आनंद नहीं ले सकते क्योंकि व्यक्ति के अंतर्मन में सुख, दुःख, सेक्स इत्यादि का जो प्रग्राम है वह नहीं बदला है. आम लोग आजकल दुखी ही रहते हैं. उसका मन हरदम कुछ तलाश करता रहता है, वह सुख उसे नहीं मिल पता. जब व्यक्ति को सुख, शान्ति नहीं मिल पाती तो कुपोषण से शिकार शरीर खुद का अंत करने के लिए कैंसर, डायबिटीज, हृदयाघात जैसे रोग उत्पन्न करता है.
मेटाबोलिक उपचार मूलतः अंतर्मन के प्रोग्राम और स्टेम सेल पर आधारित वह विज्ञान है जो लगभग सभी बीमारियों को एक साथ ख़त्म कर सकता है.