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कैंसर एक मेटाबोलिक बीमारी है

इसका अभी तक जेनेटिक बीमारी समझकर लक्षण आधारित उपचार होता आया है. कैंसर का वर्तमान उपचार (रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी) कैंसर की बीमारी से ज्यादा खतरनाक है. सबूत देखने के लिए क्लिक करें.

यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि कैंसर के उपचार में मात्र दो प्रतिशत लोग ही पांच साल तक जिन्दा रह पाते हैं, जबकि कैंसर के साथ बिना उपचार के लोग वर्षो जिन्दा रहते हैं.  सबूत देखने के लिए क्लिक करें.

प्रसिद्ध वैज्ञानिक Thomas Seyfried (बोस्टन यूनिवर्सिटी अमेरिका के प्रोफेसर) का कहना है कि कैंसर का उपचार पूर्णतः गलत हो रहा है. चिकित्सा विज्ञान में किसी बीमारी को ठीक करने के लिए किसी को जहर नहीं दिया जाता लेकिन उपचार के नाम पर लाखों लोगों को जहर दिया जा रहा है.

कैंसर एक मेटाबोलिक बीमारी है जोकि कोशिकाओं में Mitochondria के खराब होने की वजह से होता है. जिसका उपचार मेटाबोलिक तरीके से बहुत आसानी से किया जा सकता है.

कैंसर क्यों होता है (डॉ थॉमस सेफ्रीड और डॉ लिओनार्ड कॉडवेल का सिद्धांत)

मानसिक अथवा शारीरिक तनाव अथवा (Toxins) टॉक्सिन्स से शरीर की ऊर्जा कम जाती है और इसमें एसिडिक माहौल तैयार हो जाता है। आपने देखा होगा अगर आप कोई मानसिक तनाव में होते हैं तो आपकी ऊर्जा कम हो जाती है। इस तरह का वातावरण लम्बे समय तक रहने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है। एसिडिक माहौल और ऑक्सीजन की कमी की वजह से कोशिकाओं की मृत्यु शुरू हो जाती है, अपने बचाव के लिए कोशिकाएं अपना कार्य छोडकर बिना ऑक्सीजन के जिन्दा रहने का इंतजाम करती है और सिर्फ फर्मेंटेशन (Fermentation फर्मेंटेशन के द्वारा कोशिकाएं बिना ऑक्सीजन के ऊर्जा बना पाती है।) के द्वारा एनर्जी प्राप्त करती है, इन कोशिकाओं का माइटोकांड्रिया ख़राब हो चुकी होती है और उसके पास बार बार डिवीज़न के कोई और काम नहीं रहता। शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ने और ऑक्सीजन अथवा एनर्जी की कमी और कुपोषण और शारीरिक/मानसिक तनाव से होता है कैंसर। जब आप कैंसर संस्थानों के ताम झाम में परते हैं, और आपको भय दिखाया जाता है तो आप और ज्यादा तनाव में आ जाते हैं और आपका कैंसर तेजी से बढ़ने लगता है। आप जो ट्यूमर अथवा गाँठ देखते हैं वह वास्तव में कैंसर का लक्षण है जो कि एक शारीरिक बचाव प्रक्रिया है। यही ट्यूमर एसिड को समेटकर आपको बचाती है। ट्यूमर को काटने (सर्जरी) अथवा रेडिएशन से जलाने अथवा कीमोथेरेपी से छति पहुंचाने से सुरक्षातमक कवच टूट जाता है और एसिड के फैलने और शरीर में ऊर्जा और ऑक्सीजन की कमी से पूरे शरीर में कैंसर हो जाता है।ओंकोलोजिस्ट जब मरीज को बहुत कम दिन जीने की उम्मीद बताते हैं तो व्यक्ति असीम भय के माहौल में पड़ जाता है, जिससे मानसिक तनाव की वजह से शरीर का माहौल एसिडिक हो जाता है और इससे कैंसर तेजी से बढ़ने लग जाता है। कीमोथेरेपी और रेडिएशन से शरीर को काफी छति पहुँचती है, व्यक्ति काफी तनाव में रहता है और पूरा शरीर टूट चुका होता है इससे स्टेरॉयड की मात्रा बढ़ जाती है, खून में शुगर बढ़ जाता है और माहौल एसिडिक बन जाता है जो कैंसर के और बढ़ने में सहायक होता है। कैंसर के असल कारण का निवारण किये बिना कैंसर को ठीक नहीं किया जा सकता है। क्योंकि मेटाबोलिक उपचार कैंसर की वजह पर काम करती है इसलिए यह उपचार पद्धति ही कैंसर का अंत कर सकती है।

डॉ विजय राघवन ने अमेरिका के महान वैज्ञानिक डॉ थॉमस सेफ्रीड और डॉ लिओनार्ड कॉडवेल के चिकित्सीय अनुभवों को मिलाकर, भारत में शुरू किया कैंसर का मेटाबोलिक उपचार। यह उपचार अबतक का सबसे सफल उपचार प्रणाली है।

किसी भी बिमारी के ज्यादा दिन बने रहने से वह कैंसर में तब्दील हो जाता है. जैसे: हेपेटाइटिस – B, हेपेटाइटिस – C, मोटापा, डायबिटीज, लम्बे समय का घाव, लंबे समय का मानसिक तनाव, कुपोषण अथवा कोई भी बिमारी अगर लम्बे समय तक चल सकती है, तो वह कैंसर में तब्दील हो सकती है.  इसे आप इस तरह समझें, अगर आप किसी लम्बी मानसिक अथवा शारीरिक समस्या से जूझते हैं और आप हार चुके होते हैं,  तो इस हारे हुए शरीर का अंत करने के लिए कैंसर उत्पन्न होता है.  कैंसर के होने पर आप जिस उपचार को अपनाते हैं, जैसे – कीमोथेरेपी, रेडिएशन अथवा सर्जरी. ये सभी आपके शरीर को और बर्बाद कर देता है. फिर कैंसर विशेषज्ञ का डर दिखाना, यह सब आपको और ज्यादा शारीरिक और मानसिक तौर पर ख़त्म कर चूका होता है और आप अपनी जिन्दगी की जंग हार चुके होते हैं, और आपका कैंसर आपको ख़त्म कर देता है. डॉ विजय राघवन के अनुसंधान के अनुसार, कैंसर एक साधारण उपचार से ठीक होने वाली बिमारी है. शरीर को क्षति पहुंचाकर नहीं, परन्तु मेटाबोलिक उपचार द्वारा आप अपने शरीर को सशक्त बनाकर कैंसर से जंग जीत सकते हैं.  हाल के अनुसंधानों से पता चला है कि कैंसर का उपचार जिन सिद्धांतों पर आधारित है वो पूर्णतः गलत है. अब तक कैंसर को जेनेटिक बीमारी माना जाता रहा है इसका मतलब है कि यह बीमारी कोशिकाओं के nucleus से शुरू होता है. जबकि 1969 में ही यह साबित हो चूका था कि कैंसर जेनेटिक बीमारी नहीं है.

Chemotherapy or Metabolic Treatment

Chemotherapy से कैंसर के मरीजों की जान जा रही है. वास्तव में चिकित्सा विज्ञान भ्रमित है.

चिकित्सक बड़े से ट्यूमर को देखकर सोचते हैं कि उसको हटा देंगे तो बीमारी ठीक हो जाएगा. उसको निकालने के लिए या तो रेडिएशन देते हैं या फिर सर्जरी करके निकाल देते हैं या नहीं तो फिर कोई ज़हरीला सामान (जिसको कीमोथेरेपी बोलते हैं) ब्लड में दे दिया जाता है जो वहां जाकर उन कोशिकाओं को मार देगा.

लगभग सौ वर्षों से यह सब हो रहा है. Chemotherapy (कीमोथेरेपी), रेडियोथेरेपी और सर्जरी कैंसर के उपचार में वर्षों से हो रहा है. लेकिन कैंसर से पहले जितने लोगों की मौत होती थी. आज उससे ज्यादा लोग मर रहे हैं. लोगों को यह कहकर गुमराह किया जाता है  कि कीमोथेरेपी देकर उनकी आयु बढ़ाई जा सकती है लेकिन सच बिलकुल उल्टा है. कीमोथेरेपी लेने के बाद तुरंत ही मरीज़ की मौत हो जाती है, क्योंकि कीमोथेरेपी का सिद्धांत ही गलत है. इस विषय में वैज्ञानिक 100% गलत हैं  कि कीमोथेरेपी से कैंसर की कोशिकाओं को मारा जा सकता है.

कीमोथेरेपी (Chemotherapy) से शरीर के हर एक कोशिका को मारा जा सकता है, लेकिन कैंसर की कोशिकाओं को नहीं. लोगों को इस बात से भी गुमराह किया जाता है कि जितनी जल्दी कैंसर के मरीजों को पहचान लिया जाएगा. उतनी ही ज्यादा सम्भावना रहेगी उनके बचने की. लोगों के बीच इस खबर को फैलाया गया है कि एडवांस स्टेज में कैंसर के मरीजों को नहीं बचाया जा सकता. जबकि शुरूआती स्टेज के मरीजों को बचाया जा सकता है.

चिकित्सा व्यापार के लोग Chemotherapy के लिए कैसे भ्रमित करते हैं?

The truth about early diagnosis of cancer.

शुरूआती जांच में जितने लोगों को कैंसर से पीड़ित बताया जाता है. उसमे 99% लोगों को कैंसर रहता ही नहीं है. उन 99% लोगों की स्थिति, कैंसर के मरीजों की तरह (Cancer like condition) होती है. उस Cancer like condition में कम डोज वाला कीमोथेरेपी देकर ब्रांडिंग किया जाता है. कि यह मरीज़ कीमोथेरेपी से ही ठीक हुआ है. जबकि वास्तव में उस मरीज़ को कैंसर था ही नहीं.

They are not treating cancer. They are treating cancer like condition in the early stage of cancer.

लेकिन लोगों को बताया जाता हैं कि वह मरीज़ (Chemotherapy) कीमोथेरेपी से ठीक हुआ है. हमें पूरी तरह विश्वास दिला दिया जाता है कि कैंसर के मरीज़ कीमोथेरेपी से ठीक हो रहे हैं. लेकिन अगर किसी को वास्तव में कैंसर हो जाय और उसे फुल डोज वाली कीमोथेरेपी दी जाय (कम डोज नहीं, फुल डोज जिससे कैंसर की कोशिका मर सके), तो थोड़े ही समय बाद मरीज़ की ही मृत्यु हो जाती है.

यही वजह है कि जितने भी मरीज़ बड़े अस्पताल जाते हैं. टाटा इंस्टिट्यूट हो या AIIMS. उन सब की मौत हो जाती है. जिंदा वही लौट पाते हैं. जिनको कैंसर नहीं है और कम डोज वाला कीमोथेरेपी दिया जाता है. और लोगों को यह भ्रम हो जाता है  कि उसका कैंसर कीमोथेरेपी से ठीक हुआ.

Blood Cancer अलग-अलग तरह का होता है. लेकिन इसके बारे में भी लोगों को यही पता है. कि यह (Chemotherapy) कीमोथेरेपी से ठीक होता है.

चिकित्सक Morphologically different चीज़ों को भी कैंसर बोल देते हैं. LEUKOCYTOSIS को भी कैंसर के रूप में देखा जाता है. यदि किसी का WBC बहुत ज्यादा हो गया है. तो उसे भी कैंसर बता दिया जाता है. WBC के बढ़ जाने के कई वजह हैं. यह कैंसर नहीं है. लेकिन उसको कैंसर बताकर कम डोज वाला कीमोथेरेपी दे दिया जाता है.

हर ओंकोलोजिस्ट को पता है कि कीमोथेरेपी से मरीज़ जिंदा नहीं बचता है.  कीमोथेरेपी वास्तव में मानवता के खिलाफ एक षड़यंत्र है.

कैंसर के उपचार में स्टेम सेल की क्या भूमिका है?

आइये जानते हैं कैंसर कैसे होता होता है. वास्तव में जो हम खाते हैं, या जिस माहौल में रहते हैं, उसमे बहुत सारा टोक्सिन है. ये टोक्सिन कोशिका के अंदर जाकर उसे बर्बाद कर देता. बर्बादी कई चीजों की होती है. लेकिन अगर माइटोकांड्रिया (Powerhouse of the cell) बर्बाद हो गया, तो कोशिका के लिए यह बहुत बड़ी बर्बादी होती है. क्योंकि कोशिका अब एनर्जी का प्रयोग नहीं कर सकती. सिर्फ fermentation के द्वारा ही कोशिका जिंदा रहती है.

अब चूंकि कोशिका सिर्फ fermentation के द्वारा ही जिंदा रहती है इसलिए कोशिका के चारों तरफ एक एसिडिक माहौल बन जाता है. कोशिका खुद को जिंदा रखने के लिए DNA में एक सिग्नल भेजती है ताकि लैक्टिक एसिड बनाने वाले एंजाइम बने. यह एंजाइम जब ज्यादा बनता है. तो वैज्ञानिक वर्षों से बोल रहे हैं. कि जेनेटिक बदलाव आ जाता है.

THIS IS THE GENETIC CHANGE.

यह लैक्टिक एसिड एंजाइम बनाने का सिगनल जो गया. उसके बाद जो परिवर्तन आ जाता है DNA में. उसी को वर्षों से जेनेटिक समझ रहे हैं. लोगों को ऐसा लग रहा है कि DNA में म्युटेशन होने की वजह से कैंसर होता है. लेकिन ऐसा नहीं है.

Cancer originates due to the toxins in the environment.

इन टोक्सिंस की वजह से कुछ कोशिकाओं में माइटोकांड्रिया ख़राब हो जाता है. और इसके वजह से या तो कोशिकाएं मर जाती है. या सिर्फ fermentation के सहारे जीवित रहती है. Fermentation के लिए जिस तरह के एंजाइम की जरुरत होती है. उसे बनाने का निर्देश नुक्लयूस को जाता है. Fermentation के लिए जो एंजाइम बनते हैं. उसी से कोशिकाएं जिंदा रहती है. Fermentation की वजह से वहां का माहौल एसिडिक हो जाता है. इसकी प्रतिक्रिया में कई धमनियां बनती है. ऐसी धमनियां जरुरत के मुताबिक सब जगह बनती रहती है.

क्योकि कोशिकाओं में इतना बदलाव आ जाता है. कि ये अपने जीवन रक्षा के लिए ऐसा एंजाइम बनाता है. जिससे की वो एनर्जी का प्रयोग कर सके. क्योंकि कैंसर की कोशिका में माइटोकांड्रिया ख़राब है. इस वजह से वह चर्बी को एनर्जी के रूप में नहीं ग्रहण कर सकती. और सिर्फ ग्लूकोज पर ही जिंदा रहती है. जबकि शरीर की अन्य कोशिकाओं को ग्लूकोज की कोई जरुरत नहीं होती है.

Cancer cell cannot utilize fat.

CHEMOTHERAPY IS NOT BETTER THAN METABOLIC TREATMENT OF CANCER

कैंसर के उपचार में शरीर के अन्दर परिवर्तन लाया जाता हैं. ताकि कोशिकाओं को ग्लूकोज की जरुरत न हो. अर्थात कैंसर की कोशिकाओं को ग्लूकोज मिले ही नहीं. और जब कैंसर की कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं मिलता है. तो उसकी मौत हो जाती है. कुछ ऐसी कोशिकाएं जो पूरी तरह कैंसर की कोशिकाओं में परिवर्तित नहीं हुई है. वह वापस नार्मल में बदल जायेगी. जब उन्हें ग्लूकोज नहीं मिलेगा. तो उनका fermentation प्रोसेस बंद हो जाएगा. तब उन कोशिकाओं की माइटोकांड्रिया खुद ठीक होने लगेगी.

Mitochondria may repair back to normal.

जब माइटोकांड्रिया रिपेयर हो जाएगा. तो वो कैंसर सेल रहेगा ही नहीं. वह कोशिका स्वस्थ हो जायेगी. इस तरह कैंसर की कोशिका को डायरेक्टली न मारकर, शरीर को ही तैयार किया जाता है. उस काम के लिए. कि शरीर खुद ही कैंसर सेल को ख़त्म कर दे. और कैंसर सेल का जो भी सामान है. उसे एनर्जी के रूप में इस्तेमाल कर ले. इस प्रक्रिया के साथ-साथ स्टेम सेल की भी प्रक्रिया चल रही होती है. जो कैंसर सेल के द्वारा हुए नुकसान की भरपाई कर देती है.

किडनी कैंसर या स्टोमैक कैंसर में किसी ऑर्गन को काटकर निकालने की जरुरत ही नहीं. वो अपनेआप रिपेयर करेगा. और वो ठीक होगा. हमने बहुत सारे कैंसर को ठीक किया है. कैंसर ठीक होता है.

कैंसर के मरीज़ को स्टेम सेल और मेटाबोलिक उपचार की मदद से ठीक किया जा सकता है.

जब यह बीमारी ठीक हो सकती है. तो बांकी कई अन्य बीमारियाँ भी ठीक हो सकती है. आपकी क्या राय है?

Metabolic treatment is a ray of hope to cure Cancer

कैंसर का Chemotherapy (कीमोथेरेपी) आधारित उपचार विफल होने के बाद प्रसिद्ध वैज्ञानिक Prof. Thomas N. Seyfried ने कैंसर के कारणों का गहराई से अध्ययन किया और पाया:

  1. कैंसर Mitochondria की बीमारी है (यह जेनेटिक बीमारी नहीं है.
  2. Mitochondria में खराबी ग्लूकोस की अधिकता की वजह से होता है.
  3. कैंसर की कोशिका को जीवित रहने के लिए ग्लूकोस अथवा glutamine की जरुरत होती है इनकी अनुपस्थिति में कोशिका की मौत हो जाती है.
  4. शरीर की अन्य कोशिकाओं में लचीलापन पाया जाता है जिसकी वजह से वो ग्लूकोस और glutamine के बिना भी जीवित रह सकती है.
  5. Ketone bodies का इस्तेमाल शरीर की वो सारी कोशिकाएं कर सकती है जिनमे mitochondria पाया जाता है.
  6. Ketone bodies शरीर में स्वतः बनता है. शरीर के अन्दर अन्य कोशिकाओं के लिए यह लाभकारी होता है परन्तु कैंसर की कोशिकाओं के लिए खतरनाक है.

Metabolic Treatment can cure all types of cancer including Brain, Ovary, Uterus, Pancreas, Intestine, etc. This treatment is a harmless method to treat Cancer. In this therapy we use diet, exercise, supplements and some medicine to increase excretion of glutamine.

Metabolic Treatment से ब्रेन कैंसर, पैंक्रियास, लिवर, ब्लड इत्यादि में सफल उपचार हो रहा है. यह पूर्णतः हानिरहित उपचार है. Metabolic Treatment में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती. कैंसर का Metabolic उपचार कीमोथेरेपी से काफी बेहतर है. इस उपचार पद्धति में ज्यादा खर्च भी नहीं है. गाँव-घर के चिकित्सकों को इस चिकित्सा पद्धति की जानकारी नहीं होने की वजह से वो मरीजों को इसके प्रगोग के लिए प्रेरित नहीं करते.

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