थाइरोइड की गोली खाने से थाइरोइड की समस्या ख़त्म नहीं हो सकती.
थाइरोइड की समस्या जैसे- मोटापा, ज्यादा ठंढ लगना, बांझपन इत्यादि थाइरोइड की वजह से हो सकता है . परन्तु थाइरोइड की गोली खाने से यह समस्या ख़त्म नहीं होती. थाइरोइड की गोली खाने से TSH रिपोर्ट में नार्मल आने लगता है और आपको भरोसा दिलाया जाता है कि आपकी समस्या ख़त्म हो गयी, परन्तु आपकी मोटापा और अन्य समस्या में कोई फर्क नहीं पड़ता.
वास्तव में कुपोषण की वजह से थाइरोइड की समस्या होती है. थाइरोइड हॉर्मोन बनाने में जो पोषक तत्व की जरूरत होती है उसमें प्रमुख होता है: Selenium, Zinc, Iron, Copper, Vit A, Vit C, Vit E, Riboflovin, Niacin, Pyridoxine, Iodine etc. हमारे भोजन में इसकी भारी कमी है और हम जो रिफाइंड / वेजिटेबल तेल जैसे सोयाबीन, सूरजमुखी इत्यादि का तेल खाते हैं. इससे हमारे शरीर को काफी क्षति पहुँचाती है. हमारा शरीर इसे अकाल के तौर पर देखता है .
किसी संभावित अकाल से बचने के लिए शरीर कम उर्जा खर्च करने लगता है जिसके लिए थायरोक्सिन का उत्पादन कम करना जरूरी हो जाता है. मोटापा की समस्या भी इसी वजह से होती है. संभावित अकाल से बचने के लिए शरीर वसा को जमा करने लगता है और व्यक्ति मोटा हो जाता है. शरीर अपना सारा काम बंद कर संभावित अकाल की तयारी करता है, प्रजनन की प्रक्रिया भी बंद कर दी जाती है जिससे अकाल के समय में शिशु की मृत्य नहीं हो, और व्यक्ति बांझपन का शिकार हो जाता है.
ऐसी स्थिति में जब आप Thyroxin की गोली खाना शुरू करते हैं तो आपका शरीर खुद का थाइरोइड उत्पादन बंद कर देता है और आपका शरीर थाइरोइड हॉर्मोन से रेजिस्टेंस विकसित कर लेता है, जिससे TSH की मात्रा घट जाती है और आप समझते हैं कि आपका थाइरोइड ठीक हो गया. परन्तु आप की किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता .
थाइरोइड की असल वजह कुपोषण का उपचार किये बिना
सिर्फ थाइरोइड की गोली से थाइरोइड की समस्या नहीं ख़त्म हो सकती.
थाइरोइड (Thyroid) की कमी वर्तमान समय में महिलाओं में आम समस्या बन गयी है, थाइरोइड के मरीज़ को सुस्ती, मोटापा, बाँझपन, कब्जियत, जोड़ो का दर्द, ठण्ड ज्यादा लगना, इत्यादि की समस्या उत्पन्न हो जाती है! प्रायः चिकित्सकों का मानना है कि थाइरोइड होरमोन की कमी से ऐसा होता है. और इस बीमारी के लिए थाइरोइड की गोली ज़िन्दगी भर खाने के लिए दी जाती है. इन दवाओं का असर शुरूआती कुछ दिन तक तो रहता है लेकिन बाद में इनका असर खत्म हो जाता है और इनके दुष्परिणाम फिर से सामने आने लगते हैं.
थाइरोइड (Thyroid)की समस्या का विस्तृत अध्यन करने के बाद हमने पाया कि थाइरोइड की समस्या में व्यक्ति का मेटाबोलिक रेट घट जाता है. और प्राकृतिक रूप से शरीर अपने बचाव के लिए ऐसा करता है. आखिर ऐसा करने की जरुरत शरीर को क्यों पड़ती है? हमने विस्तृत रूप से जानवरों का आहार-व्यवहार और आम लोगों के आहार-व्यवहार को अध्ययन कर के यह पाया कि हमारे आहार में कुछ प्रोटीन की कमी से और Refine तेल, कैल्शियम की गोली आदि की वजह से शरीर में ऐसे परिवर्तन आ जाते है जिसकी वजह से थाइरोइड होरमोन का प्रोडक्शन कम हो जाता है और शरीर अपने बचाव में Low Metabolic Stage में चला जाता है थाइरोइड होरमोन थाइरोइड ग्रंथि से निकलता है. लेकिन उसमे लीवर के प्रोटीन्स का बहुत बड़ा रोल होता है जिसे Thyroglobulins कहते हैं. इन Thyroglobulins के वजह से थाइरोइड होरमोन का प्रोडक्शन कम हो जाता है. Unsaturated Fat थाइरोइड ग्रंथि पर अटैक कर थाइरोइड के excretion को बंद कर देता है. आम चिकित्सको को थाइरोइड (Thyroid)के मेटाबोलिज्म की जानकारी नहीं रहती है. वे थाइरोइड का लक्षण आधारित उपचार करते है और थाइरोइड की दवा लेने के बावजूद भी ज्यादा दिन तक इसका फायदा नजर नहीं आता है. बिना मेटाबोलिक उपचार के सिर्फ थाइरोइड (Thyroid)की गोली से थाइरोइड की समस्या दूर नहीं हो सकती है.
यही बात हृदयाघात, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, आदि बीमारियों में भी होता है. आप जब तब मेटाबोलिक उपचार नहीं अपनाएंगे तब तक आप बिमारियों के इस जाल में फंसे रहेंगे. बिना मेटाबोलिक उपचार के आप इन बीमारियों से मुक्ति नहीं पा सकते.
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