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सेक्स की समस्या वास्तव में subconscious brain programming की खराबी से उत्पन्न होता है. लोगों के जीवन मूल्य पलट चुके हैं.

जीवन मूल्यों के पलट जाने से आम व्यक्ति को स्वास्थ्य की बेहतरी से ज्यादा खुद की तरक्की पर ध्यान केन्द्रित करना पड़ता है. व्यक्ति बीमार, थका हारा, बेतहासा दौड़ लगाता रहता है और वह कहाँ जाना चाहता है उसे मालूम नहीं.

व्यक्ति जीवन के कोई भी काम में खुद को समर्थ नहीं पाता है. जब उसकी शादी होती है तो फिर नयी समस्या उत्पन्न हो जाती है. अब उसे सेक्स करने में दिक्कत आने लगती है. अब वह नये अवसाद का शिकार हो जाता है. वह पत्नी को बराबर का दर्जा देता है और कई तरह के गिफ्ट देकत संतुष्ट करना चाहता परन्तु जो जरूरी है जिसे सम्भोग अथवा सेक्स कहते हैं, वह नहीं दे पता.

जीवन मूल्यों के पलट जाने से हमारा मन अथवा अंतर्मन में कोई बदलाव नहीं आता. वह वही हजारों वर्ष पुराने सिद्धांतों पर चलता है जिसके अनुसार स्त्री पुरुषों से नीचे रहती है. यदि वह इंसान स्त्री को बराबरी में देखता है तो फिर कभी भी वह अच्छे से सम्भोग नहीं कर सकता. सेक्स की समस्या भी जीवन मूल्यों के पलट जाने से उत्पन्न होती है.

अगर आपके जीवन मूल्य पलट चुके हैं तो फिर आप जीवन का आनंद नहीं ले सकते क्योंकि व्यक्ति के अंतर्मन में सुख, दुःख, सेक्स इत्यादि का जो प्रग्राम है वह नहीं बदला है. आम लोग आजकल दुखी ही रहते हैं. उसका मन हरदम कुछ तलाश करता रहता है, वह सुख उसे नहीं मिल पता. जब व्यक्ति को सुख, शान्ति नहीं मिल पाती तो कुपोषण से शिकार शरीर खुद का अंत करने के लिए कैंसर जैसे रोग उत्पन्न करता है.

सेक्स की समस्या को गोपनीय क्यों रखा जाता है

 सेक्स की समस्या युवाओं में आम बात होती जा रही है. आम लोग इस बात का जिक्र किसी से नहीं करते और इसे गुप्त रखा जाता है इसलिए इसे गुप्तरोग भी कहते हैं. परन्तु इसमें गोपनीय कुछ भी नहीं. लोग सेक्स की शक्ति बढाने के लिए तरह तरह की ताक़त की दवा उपयोग में लाते हैं. इन सब दवाईयों से उनको कुछ दिनों तक तो लाभ मिलता है परन्तु बाद में वह सेक्स करने में पूर्णतः असक्षम हो जाते हैं. सेक्स की समस्या का मनोवैज्ञानिक असर इतना ज्यादा होता है कि इससे व्यक्ति की कार्यकुशलता पूर्णतः प्रभावित हो जाती है और वह व्यक्ति पूर्णतः अंतर्मुखी हो जाता. इससे उसका सामाजिक जीवन पूर्णतः खराब हो जाता है. इससे व्यक्ति के जीवन पर बहुत ही नकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए लोग इसकी चर्चा करना पसंद नहीं करते.   

सेक्स की समस्या किस तरह से जटिल रूप धारण कर लेता है.

जब पहलीबार वह सेक्स नहीं कर पाता है तो धीरे धीरे उसके मन में डर पैदा हो जाता है. जिससे वह सेक्स उत्तेजना पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता और अगर कभी उत्तेजित होता भी है तो वह थोड़े समय के लिए होता है और वह सम्भोग नहीं कर पाता. उसकी उत्तेजना वास्तविक नहीं वल्कि बनावटी होता है.

वह निराश व्यक्ति अपनी इस समस्या को किसी को नहीं बताता और कुछ न कुछ उपचार लेता रहता है . जैसे बाजार में उपलब्ध ताकत की दवाई.

जब वह एलोपैथिक दवाएं लेता है तो उसमें कृत्रिम उत्तेजना आती है और वह कृत्रिम सम्भोग करने में सक्षम हो जाता है. परन्तु उस व्यक्ति का अंतर्मन अथवा Subconcious Mind इस तरह के सम्भोग से रेजिस्टेंस विकसित कर लेता है और अब जब वह व्यक्ति ताकत की दवाई खाकर सेक्स करना चाहता है तो अब उसका लिंग साथ नहीं देता. वह बार-बार लिंग के बारे में सोचता रहता है. इससे उसका पूरा दिनचर्या ही खराब हो जाता है. उसे सम्भोग नहीं कर पाने की ग्लानी होने लग जाती है और वह निराश हो जाता है.

जब व्यक्ति ताकत की दवाई  खाता है तो उसको खुद पर भरोसा टूट जाता है और वह सेक्स के समय सोचता रहता है कि उसका लिंग खड़ा होगा अथवा नहीं. इस तरह की सोचने की प्रक्रिया से वह सेक्स के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाता. व्यक्ति काफी परेशान रहने लग जाता है.

प्रारंभिक अवस्था में सेक्स ठीक से नहीं होना एक सामान्य बात है, वही समस्या धीरे धीरे भयानक रूप धारण कर लेता है और उसका जीवन तबाह हो जाता है. सेक्स की समस्या वास्तव में सेक्स करने की ट्रेनिंग के अभाव में होता है और यह पूर्णतः ठीक होने वाली बिमारी है.

सेक्स की समस्या ख़त्म करने में मेटाबोलिक उपचार ही एक मात्र साधन क्यों है:

 मेटाबोलिक उपचार Subconscious Mind के प्रोग्रामिंग पर आधारित है जिससे इस समस्या का निदान संभव है.  सेक्स की समस्या का सबसे  सफल उपचार मेटाबोलिक उपचार है. यह उपचार सेक्स करने के वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है. Subconscious ट्रेनिंग से वह व्यक्ति आत्मविश्वास विकसित कर लेता है और सेक्स  की प्रक्रिया आनंददायी बन जाती है.   

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